सम्माननीय
आदरणीय ,
डी. एस. पी. उमाकांत जी चौधरी, राष्ट्रसेवा में समर्पित
आपके द्वारा लिया गया आत्मनिर्णय,प्लाज्मा डोनेट, उस कठिन क्षण में अंतर्आत्मा से निकला भाव है !
जिसके मन में मनुष्यता के प्रति मानवीयता के भाव हो ,वही मनोवृत्ति अपनी समर्पित निष्ठावान सेवा देकर श्रेष्ठ कार्य करने की कोशिश करते हैं !
जिससे अन्य भी प्रेरित हो कर सेवा के निश्चल भाव को महत्व देना शुरू कर देते हैं! आपकी सराहनीय पहल का आदर्श प्रादुर्भाव पुरे महकमें को प्रभावित करेगा ! एक अनुशीलन वातावरण निर्मित होगा!
परिस्थितियाँ जब विषम होती हैं, ऐसी स्थिति में किसी के मन में परोपकार का भाव जागृत हो जाए, यही शुद्ध अंतर्आत्मा से निकला मानवीय पहलू है! कठिनाई के दौर में जब मनुष्यता खतरे में हो, ऐसे वक्त पर संयम और विवेक से लिया गया निर्णय सजग रहते हुए,अपनी कौशिश से खरे उतरते हैं, ऐसा विलक्षण आचरण ही व्यक्तित्व में संपूर्णता लाता है! जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन ओरों को भी कुछ करने का मन में भाव उपज जाता है! वह मनुष्यता के लिए बेहद मूल्यवान है! अनेक लोगों को अपने त्याग व सेवा से समर्पण से सही राह दिखाने वाले किसी फरिश्ते से कम नहीं होते, जो बैचेनी के उमड़तेभाव बीमारियों से ग्रस्त महात्रासदी में दूसरों को जीवन दान बक्श देते हैं!
जिसने भी इस महात्रासदी को देखा, उसकी यादों में जीवन भर हमेशा के लिए बस गई! ऐसे संकट में अपने संस्कारों से आत्मिक होकर उन्नयन त्याग का बीज बोते है, यह व्यापक रूप से समाज को प्रतिबिंबित कर रहा होता है, क्यों कि लौटता वही है जो हम मनुष्यता को जीवित रखने के लिए करते हैं!
ऐसी सराहनीय पहल के लिए समाज को गर्व है !
हार्दिक बधाई




