समाज में गुणात्मकता का प्रभाव जब कम हो कर हठ बढ़ने लगता हो तो, वहाँ क्रूरता जन्म लेने लगती है और यही क्रूरता अपने साम्राज्य को विस्तार देने के लिए ,किसी की परवाह किए बिना अपने हठ को जीवित रखती है ! लेकिन यह भी सच है कि,मनुुष्य तब तक ही सुन्दर लग सकता है कि वह मर्यादित हो, उसमें विनयशीलता जीवित हो ? अवसरवादी सोच वहाँ तक नहीं पहुँचने देती, जो हमें कुछ अच्छा करने का उत्तरदायित्व सोंपा गया था ,जिसे हम पूरा न कर पाए हों !
अमर्यादित जीवन सदैव औरों का चिंतन करने बजाय सिर्फ अपने सुख का कारण खोजता है ,लेकिन भविष्य की चिंता से अनभिज्ञ रहते लक्ष्य को अपने अधीन रखना मुश्किल होता है! व्यर्थ का हठ क्षणिक होकर, एक दिन मनुष्य को हास्यास्पद परिस्थिति में निर्बल बना ही देता है !
अब मैं आपको ‘ अखिल भारतीय धाकड़ महासभा ‘ में एकमात्र कर्मनिष्ठ निष्ठावान पदस्थ गैर राजनीतिक वरिष्ठ
चिंतक, स्पष्ट व बेबाक शैली के विचारवान राष्ट्रीय महामंत्री आदरणीय गोविन्दसिंहजी जयपुर के बारे में बताना चाहुँगा , जो उम्रदराज होने के साथ ‘महासभा ‘ के जन्म से लेकर वर्तमान तक यानी 65वर्ष पूर्ण होने तक हर-एक कार्यकाल की सेवा को, पूर्वजों के सद्भाव को बहुत करीब से देखा है ! 2019 में मेरे द्वारा लिखित लेख ‘ घटती नैतिकता से कब उभरेगी धाकड़ महासभा ‘ पढ़ने के पश्चात उनके द्वारा चैतन्य अवस्था में ‘अखिल भारतीय धाकड़ महासभा ‘ नेतृत्व को लिखा गया पत्र – – – – –
आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय,
अखिल भारतीय धाकड़ महासभा
“भारत वर्ष ” राष्ट्रीय महामंत्री होने की हैसियत से मेरा आप से निवेदन है और सलाह है कि, आप शिघ्रातिशीघ्र महासभा ‘के आगामी अधिवेशन करने के लिए कार्यवाही कर अपना और वर्तमान कार्यकारिणी का दायित्व नीभाएं ! वर्तमान कार्यकारिणी के कार्यकाल भी बहुत पहले समाप्त हो चुका है बिजौलिया अधिवेशन निरस्त होने के पश्चात ‘अखिल भारतीय धाकड़ महासभा ‘ का अधिवेशन किसी अन्यत्र स्थान पर राजस्थान में ही अधिवेशन करने के लिए आप पहल करें! अधिवेशन के पूर्व वहाँ की सामाजिक इकाई या पंचायत से सलाह व स्वीकृति लेकर यह अधिवेशन १४ दिसंबर 2019 से लगने वाले मलमास में अवश्य करने का आग्रह करता हूं! आप स्वयं मंथन करके सोचे की जब से समाज में राजनीतिकरण समाज के पदों पर समाज के राजनेताओं ने पद हथिया कर किया है ! समाज में आपसी सद्भाव की बहुत कमी आई है! समाज में ऐसा कोई सकारात्मक कार्य नहीं हुआ है, जिसे उपलब्धि के रूप में गिनाया जा सके ! दुर्भाग्य की बात है कि, आपने समाज की संपर्क सूत्र ‘धाकड़ बंधु ‘ पत्रिका को भी कार्यकारिणी में निर्णय ले कर बंद करा दिया! 60साल से चल रही ‘महासभा ‘ का यह प्राण थी !इसके इंदौर ट्रांसफर कोअधिवेशन तक टाला जा सकता था! जो भी व्यक्ति पत्रिका प्रकाशन से नाराज थे, वह समाज की एक इकाई मात्र थे, मालिक नहीं ? इस निर्णय को मैं पूरी तरह से अविवेकपूर्ण मानता हूं! आपका बहुत बड़ा दायित्व है, समाज में सौहार्द और चहुंमुखी विकास आपका और कार्यकारिणी का दायित्व !
कृपया सोचे क्या हम इसमें सफल हो पाए हैं? अगर समय पर नहीं जागे तो समाज हमें माफ नहीं करेगा ! अगर अधिवेशन शीघ्र संभव नहीं हो तो १५ दिसंबर 2019 के बाद राजस्थान में ही कार्यकारिणी की मीटिंग बुलाकर अधिवेशन तक कार्यकाल को एक्सटेंड कर समाज हित में सकारात्मक निर्णय लें, ताकि समाज चौमुखी विकास के लिए समर्पित समाज सेवा के युवा और समाज के अनुभवी समाज सेवकों को सौंपी जा सके ! अथवा समाज हित में संरक्षक सदस्यों में से एडहाक कमेटी बनाकर उसे अधिवेशन कराने का जिम्मा सोप दे !
इसी आशा और विश्वास के साथ ! गोविंदसिंह धाकड़ राष्ट्रीय महामंत्री ‘अखिल भारतीय धाकड़ महासभा “भारत वर्ष “
यह एक समर्पित सेवाभावी महामंत्रीजी , द्वारा राष्ट्रीय नेतृत्व को लिखा गया पत्र है, जिसमें समाज के प्रति चिंतन होकर आत्मीयता का भाव होने के साथ निस्वार्थ प्रेरक अपनापन है! समाज के लिए जिम्मेदारी का निर्वहन कैसे किया जावे ? जब व्यक्तित्व के भाव आंतरिक मन से निकलते हैं तो, भावनात्मक संदेश देकर समाज को विश्वसनीयता का आभास होने लगता है! विचारों में छीपी सात्विकता ही सामाजिक जीवन का मूल्य तैयार करती है! 2019 में लिखा गया पत्र 3वर्ष बीत जाने के पश्चात भी , नेतृत्व को कितना प्रभावित कर पाया होगा इसका अंदाजा लगाना तो मुश्किल है यहां तक की पत्र का जवाब ही अनुत्तरित रहा , इतने बड़े समाज की यह कैसी जिम्मेदारी ? जो लोग अपने हितों का पोषण करते हो,वह समाज-सेवी कैसे हो सकते हैं ? समाज की भलाई के लिए, मर्यादित नेतृत्व से ही सफलता की अपेक्षा रखी जा सकती है ,जो समय के अनुकुल पृगति की दौड़ में सबसे आगे रखे!
धन्यवाद
बालमुकुंद नागर (धाकड़)
72 मातृ आश्रय लिम्बोदी वार्ड
77 इंदौर (म. प्र.)
9575982454




